महाकुंभ में मौत का तमाशा_तीन महीने बाद भी मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं

महाकुंभ में मारे गए श्रद्धालुओं को तीन महीने बाद भी डेथ सर्टिफिकेट नहीं

त्रिवेणी घाट पर भगदड़ में मारे गए कामता बघेल की मौत के आवेदन में जबरन लिखवाया बीमारी से हुई मौत

देश का भ्रष्ट और संवेदनहीन सिस्टम की ऐसी हैरतअंगेज तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जो आपको झकझोर कर रख देगी। ग्वालियर के रहने वाले कामता प्रसाद बघेल जो महाकुंभ में उत्तरप्रदेश सरकार की अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गए उनके परिजनों को अब तक मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं मिला है। ये एकमात्र उदाहरण नहीं है जो निरंकुश सरकारों के सड़े गले सिस्टम की पोल खोलता है। देश भर से प्रयागराज महाकुंभ पहुँचे करोड़ों श्रद्धालुओं के प्रति सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा देखने को मिली जब महाकुंभ के त्रिवेणी संगम घाट पर सैंकड़ों श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इनमें से एक थे कामता प्रसाद बघेल जो महाकुम्भ में अपने और अपने परिवार के लिए पुण्य लाभ लेने गए थे लेकिन उन्हें मौत मिली और अब उस हादसे के तीन महीने बाद भी उनका‌ परिवार मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर दर भटकने को मजबूर है।

 

देखिए सरकार ने कैसे बना‌ दिया कामता प्रसाद बघेल की मौत को तमाशा

महाकुम्भ के दौरान मची भगदड़ में‌ मारे गए मृतकों के परिजन अब तक दर दर भटकने को मजबूर हैं। महाकुम्भ में अपने और अपने परिवार के लिए पुण्य कमाने गए ग्वालियर के टेकनपुर निवासी कामता प्रसाद बघेल की मौत 27 जनवरी को महाकुंभ में हुई भगदड़ के दौरान हो गई थी। मृतक कामता प्रसाद बघेल के परिजनों की मानें घटना के 3 महीने बाद भी वह यहां वहां भटकने को मजबूर है। देश को दहलाने वाली इस घटना की जिम्मेदार उत्तर प्रदेश सरकार से सहायता मिलना तो दूर मृत्यु प्रमाण पत्र भी अब तक उन्हें नहीं मिला है। कामता प्रसाद बघेल की मां और पत्नी के आंसू थम नहीं रहे हैं क्योंकि तीन परिवारों को पालने वाले कामता प्रसाद बघेल ने हाल ही में अपनी सबसे छोटी बेटी की शादी में 10 लाख का कर्ज लिया था पैसा देने वाले अब उनके घर पर चक्कर काट रहे हैं।

 

पुलिस ने शव देने पर लगा दी शर्त_ बीमारी का आवेदन लिखो फिर मिलेगी बॉडी

कामता प्रसाद बघेल के बेटे ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने हमें जरा भी सहयोग नहीं किया हमें पिता का शव भी उस समय दिया गया जब पुलिस ने हमसे एक आवेदन लिखवा‌ लिया जिसमें मेरे पिता कामता प्रसाद की मौत का कारण तबीयत खराब होना लिखवाया गया। जबकि मेरे पिता की मौत कुंभ में भगदड़ के दौरान हुई थी और यही नहीं कामता प्रसाद के भतीजे दिनेश पाल का कहना है कि कामता प्रसाद का शव घटना स्थल से 4-5 किलोमीटर दूर भेज दिया गया था। यदि हम समय पर नहीं पहुंचते तो कामता प्रसाद की बॉडी गायब कर दी जाती। हमारे सामने पोस्टमार्टम हाउस में भगदड़ में मारे गए 30 शवों का पोस्टमार्टम हो रहा था।

 

 

तीन परिवारों को पालने वाले कामता प्रसाद की मौत के बाद पत्नी बेटे को मिल‌ रही साहूकारों की धमकी

कामता प्रसाद की पत्नी कलावती को चिंता है कि अब परिवार का क्या होगा इसके साथ ही सरकार से उन्होंने सहायता की गुहार लगाई है हालांकि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दुर्घटना में मृतक के परिवार को दी जाने वाली सहायता राशि चार लाख रुपए मृतक के परिवार को दे दी गई है।

 

प्रशासन ने भी नहीं की मदद_ तहसीलदार बोल‌े सीएम हैल्पलाइन वापिस लोगे तो मिलेगा डैथ सर्टिफिकेट

आपको बता दें कि यह एक मात्र तस्वीर नहीं है जिसमें मौत के बाद भी न्याय नहीं मिलता महाकुंभ में मारे गए सैकड़ो लोगों के परिजनों का दुख और व्यथा का ये उदाहरण मात्र है सरकारें अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के लिए जिस तरह से आम जनता के साथ अन्याय करती हैं इसकी एक और बानगी हम आपको बताते हैं मृतक कामता प्रसाद के पुत्र ने इसकी शिकायत जब सीएम हैल्पलाइन में की तो तहसीलदार समेत‌ प्रशासन के तमाम जिम्मेदार अफसरों का कहना था कि पहले सीएम हेल्पलाइन की शिकायत वापस लो नहीं तो आपको डेट सर्टिफिकेट मिलने में तीन-चार महीने लग जाएंगे और सहायता भी नहीं मिलेगी यदि आप शिकायत वापस ले लेते हैं। तो हम कुछ कर सकते हैं इससे आप समझ सकते हैं कि जो जिम्मेदार हैं वह किस तरह से न्याय कानून व्यवस्था का मजाक बनाते हैं यह जिम्मेदार वही है जो आपके दिए हुए टैक्स के पैसे से अपने परिवारों का भरण पोषण करते हैं तमाम ऐशो आराम करते हैं लेकिन आम जनता के लिए उनके दरवाजे हमेशा बंद मिलते हैं।

Please follow and like us:
Pin Share

Leave a Reply