टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम की परमीशन के बिना बने सीएम राइज (सांदीपनि स्कूल)
अच्छा हुआ सीएम ग्वालियर नहीं आए नहीं तो जिले के अफसर मुख्यमंत्री से स्कूल बिल्डिंग का अवैध लोकार्पण करवा देते।
मध्यप्रदेश सरकार का नियम कानून विधान केवल आम जनता पर ही लागू होता है सरकार पर नहीं। और ये हम नहीं कह रहे ये मानना है प्रदेश सरकार के शासकीय विभागों का जो जनता को नियम कानून पढ़ाने और उनका पालन करवाने के लिए डंडे का इस्तेमाल तक करते हैं जबकि ये खुद नियम कानून की कितनी परवाह करते हैं इसका उदाहरण हम आपको बताएँगे। लेकिन उससे पहले बता दें कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ग्वालियर जिले में स्थित अवैध सीएम राइज अर्थात सांदिपनी स्कूलों की बिल्डिंग का लोकार्पण करने वाले हैं जी हाँ और ये अवैध बिल्डिंग वो हैं जिनमें हजारों मासूम छात्र छात्राएं शिक्षा ग्रहण करेंगे।
क्या है पूरा मामला_आखिर क्यों अवैध हैं स्कूल बिल्डिंग

दरअसल ग्वालियर समेत पूरे मध्यप्रदेश में निर्माणाधीन सांदीपनि स्कूलों की नई इमारतों की परमीशन संबंधित विभाग से नहीं ली गई है। यहाँ बड़ा सवाल यह है कि जिले और संभाग के सीएम राइज स्कूलों के निर्माण की अनुमति देने वाले टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम के नियमों को दरकिनार करते हुए पुलिस हाउसिंग बोर्ड ने इन विभागों की अनुमति नहीं ली। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त संचालक के के कुशवाहा के मुताबिक स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा बिल्डिंग बनने के बाद अनुमति ली गई थी लेकिन वो निरस्त कर दी गई है उसके बाद अब तक किसी तरह की अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया गया। अहम बात ये है कि ग्वालियर समेत पूरे मध्यप्रदेश में सीएम राइज स्कूलों को बनाने वाली संस्था पुलिस हाउसिंग बोर्ड ने अपने पुलिसिया रसूख का इस्तेमाल करके प्रदेश भर में बहुमंजिला इमारतें बनाई थी लेकिन यहाँ पढ़ने वाले उन मासूम बच्चों का ध्यान नहीं रखा जो यहाँ पढ़ने आने वाले हैं साथ ही सरकार द्वारा बनाए गए नियम कानूनों को ध्वस्त करते हुए मनमानीपूर्ण रवैया अपनाया। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इन मासूम बच्चों के लिए बनी इन स्कूलों की अवैध इमारतों को किस तरह देखते हैं लेकिन ये जरूर है कि उनके विभाग ने उनकी ही साख को बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वहीं जब हमने पुलिस हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालन यंत्री नरेश शर्मा से बात करने की कोशिश की तो वे उन्होंने कह दिया कि मैं आपसे बात नहीं कर सकता।
