टाउन एंड कन्ट्री प्लानिंग में भ्रष्टाचार की काली कमाई से बना दिया हजारों करोड़ का साम्राज्य
खबर या समाचार नहीं ये सवाल है सिस्टम से…?
देखिए खास रिपोर्ट
भ्रष्टाचार के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं और अंत रहेंगे क्योंकि इस देश में भ्रष्टाचार पर शिष्टाचार का मुलम्मा पहना दिया गया है। और ये भ्रष्टाचार माफ़ कीजिए कथित शिष्टाचार हर शासकीय विभागों निजी संस्थानों राजनीतिक दलों और सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों में व्याप्त है। आज हम आपको इस भ्रष्टाचार रूपी शिष्टाचार की एक ऐसी कहानी से रूबरू कराएँगे जो हमारे और आपके आसपास बदस्तूर हर दिन हर घंटे और हर पल घट रही है। और हम हैं कि कानों में रुई आँखों पर स्वार्थ और लालच की पट्टी बाँधे देख रहे हैं लेकिन कुछ बोल नहीं रहे क्योंकि आज के दौर की हमें क्या करना वाली मानसिकता हमारे मन मस्तिष्क पर हावी है। और इसी बात का फायदा ये कथित भ्रष्ट लोग उठाते हुए हजारों करोड़ों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लेते हैं।
कुर्सी पर बैठे माफियाओं की असली कहानी
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जैसा कि हमने पहले कहा कि कहानी लेकिन ये कहानी नहीं है ये सवाल है कुर्सी पर बैठे हर उस भ्रष्टाचारी के लिए हर उस बेईमान और देश के गद्दार के लिए जो जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई के पैसे से दिए गए टैक्स से अपना परिवार पालते हैं। लेकिन लाखों की तनख्वाह पाने के बाद भी ये भ्रष्ट लाट साहब अपने चेहरे पर बिकाऊ होने का प्राइस टैग चिपका देते हैं। और जिसके पास पैसा या रसूख होता है वो चांँदी का जूता मारकर इन्हें झुका कर अपना काम निकलवा लेता है।
तो अब आते हैं कहानी पर आपने बॉलीवुड की हिन्दी फिल्मों में अक्सर देखा होगा कि कोई हीरो जो फटीचर होता है या किसी सेठ के यहाँ नौकरी करता है वो रातों रात कैसे करोड़पति अरबपति बन जाता है। लेकिन ये कारनामा ग्वालियर के उद्यमशील युवा ने कर दिखाया है आप सोच भी नहीं सकते कि 5-7 साल पहले एक युवा जो एक निजी बिल्डर के यहाँ प्रायवेट नौकरी करता है वो उस नौकरी से 5-7 साल का अनुभव लेकर रातों रात आधा दर्जन से ज्यादा कम्पनियों का डायरेक्टर बन सकता है। प्रदेश के इतिहास में ये अनोखी मिसाल पेश की है शहर के एक युवक आकाश शर्मा ने। सूत्रों की मानें तो एलएलबी की डिग्री करने के बाद रियल एस्टेट में कुछ बड़ा करने की चाहत लिए रिटायर्ड संयुक्त संचालक टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के सुपुत्र आकाश शर्मा ने शहर के ही एक निजी बिल्डर के यहाँ नौकरी की। कुछ वर्ष नौकरी करने के बाद आकाश इतने अधिक योग्य और जिम्मेदार हो गए कि एक झटके में शहर के पॉश इलाकों में की टाउनशिप और 8 कम्पनियों के डायरेक्टर बन गए।
अब प्राइवेट नौकरी करने वाले आकाश शर्मा इतनी कम्पनियों के डायरेक्टर कैसे बने ये तो वही जानें या जानें उनके पिताश्री यानि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के पूर्व संयुक्त संचालक वी के शर्मा । लेकिन कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है। मामला यहीं तक होता तो भैया गनीमत थी क्योंकि आजकल शैल कंपनियों का जमाना है किसी ने इस भोलेभाले नवयुवक आकाश शर्मा को बरगला कर बहका कर कंपनियों में डायरेक्टर बना लिया होगा ताकि वो अनाम व्यक्ति इसके नाम से अपने कारनामों को अंजाम दे सके। लेकिन हमारे समेत पूरे शहर की आँखें उस समय चौंधिया गईं जब ग्वालियर के डबरा रोड पर लगभग 500 करोड़ के 5 या 7 सितारा होटल निर्माण में इस युवा आकाश शर्मा का नाम सामने आया। आईटीसी ग्रुप से करार वाला यह होटल आकाश शर्मा की मिल्कियत है ये सुनकर देखकर हमारे तो होश ही उड़ गए क्योंकि ग्वालियर में पहली बार 7 स्टार होटल के दर्शन होने जा रहे हैं।अब इस होटल और इस बेहद कार्यशील युवा आकाश शर्मा के पीछे कौन है ये जांच का विषय है लेकिन इतना तय है कि इस भ्रष्टाचार की गंगा का गौमुख कहीं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त संचालक के केबिन से तो नहीं निकला।
कौन है इस भ्रष्टाचार का किंगपिन….?
बाप नंबरी बेटा आठ नंबरी_रातों रात धनकुबेर बने पिता पुत्र की अनोखी कहानी
सरकारी नौकर पिता के ठेकेदार बेटे ने खड़ा कर दिया हजारों करोड़ का साम्राज्य
देखिए भ्रष्टाचार की कोख से निकले कोहिनूर की सच्ची कहानी।
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वैसे तो सब जानते हैं कि भ्रष्टाचार की गंगा ऊपर से बहती है ऊपर अर्थात सत्ता सिंहासन ही सीधे तौर पर इसका जिम्मेदार होता है क्योंकि कहते हैं कि राजा ईमानदार हो तो एक संतरी की औकात नहीं कि जनता के साथ भ्रष्ट आचरण कर सके। लेकिन यहाँ तो संतरी ही राजा के ऊपर निकल गया। ग्वालियर का पहला इकलौता 5 स्टार बनाने की हिम्मत या हैसियत ग्वालियर चम्बल अंचल के किसी नेता या धनकुबेर की नहीं हुई वैसे तो शहर में कई धनकुबेर भी हैं और राजनेता भी जो साइकिल स्कूटर पर चलते चलते अनऑफीशियली तौर पर हजारों करोड़ों के मालिक बन चुके हैं लेकिन उनकी भी इतनी हैसियत नहीं थी कि ग्वालियर में एक 5 सितारा होटल बना पाएँ लेकिन ये ग्वालियर चम्बल है यहाँ बड़े बड़े कारनामे छोटे छोटे लोग भी कर जाते हैं। यह सवाल तब उठा जब एक संतरी अर्थात टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के एक संयुक्त संचालक वी के शर्मा रिटायर होते ही अपने पूरे रंग में आ गए कि उन्होंने अपने सुपुत्र आकाश शर्मा को निजी बिल्डर के यहाँ से नौकरी छुड़वाकर सीधे आधा दर्जन कंपनियों के डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठा दिया। वी के शर्मा के रसूख की बात करें तो इनके खिलाफ की वर्षों पहले ईओडब्ल्यू यानि आर्थिक अपराध शाखा में एफआईआर दर्ज हुई थी लेकिन ईओडब्ल्यू की क्या औकात कि इन्हें छू भी ले। क्योंकि चाँदी का जूता तो ईओडब्ल्यू में भी चलता है और फिर लगभग 25-26 साल तक एक ही कुर्सी पर बैठे बैठे रिटायर्ड होने के बाद सारे मामले तो स्वत: ही लूपलाइन में चले जाते हैं। तो भैया इनके भ्रष्टाचार के खिलाफ कई वर्षों से मोर्चा खोले हुए लोग भी अब थक चुके हैं हालांकि वे अब हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं लेकिन एक बात जरूर है कि अपने सुपुत्र को वैलसैटल्ड करने वाले वी के शर्मा के काले कारनामों की लिस्ट अब खुलने वाली है जिसके चंद सबूत आपको हम यहाँ दे रहे हैं देखिए और सवाल कीजिए इस भ्रष्ट सिस्टम से क्योंकि ये आपके हक का निवाला छीनकर अरबपति बने हैं।
प्रायवेट नौकरी करने वाले पुत्र कैसे बना 8 कम्पनियों का डायरेक्टर देखिए खास रिपोर्ट
एंकर -: ग्वालियर में शासकीय नौकरी में रहते हुए करोड़ों अरबों की संपत्ति बनाने का बड़ा मामला सामने आया है। जहांँ टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के रिटायर्ड संयुक्त संचालक वी के शर्मा की काली कमाई का खुलासा हुआ है। सूत्रों की मानें तो ग्वालियर जिले में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त संचालक के पद पर रहे वी के शर्मा अपने रिटायरमेंट के बाद धनकुबेर की भूमिका में आ चुके हैं। और एक प्रायवेट फर्म में नौकरी करने वाले अपने बेटे को आनन फानन में आठ कम्पनियों का डायरेक्टर बना दिया है। वहीं इनके खिलाफ ईओडब्ल्यू में भी एफआईआर दर्ज है लेकिन किसी अफसर की हिम्मत नहीं कि इन पर कार्रवाई कर सके। ।
दरअसल ये मामला उस समय संज्ञान में आया जब ग्वालियर के नए धनकुबेर आकाश शर्मा द्वारा डबरा रोड पर एक 5 सितारा होटल का निर्माण कराया गया। आपको बता दें कि ग्वालियर में 500 करोड़ की लागत से बनने वाले इस इकलौते 7 स्टार होटल का करार आईटीसी ग्रुप से हुआ है। और इस होटल के सर्वेसर्वा पूर्व संयुक्त संचालक वी के शर्मा के सुपुत्र आकाश शर्मा हैं। बड़ा सवाल तब उठता है जब एक प्रायवेट नौकरी करने वाला एक युवा रातों रात एक अरबपति धनकुबेर की भूमिका में आ जाता है और यही नहीं यह युवक जो एलएलबी की डिग्री लेकर अचानक से रियल एस्टेट के क्षेत्र एक बड़ा नाम बन जाता है। आपको बता दें कि वी के शर्मा के सुपुत्र आकाश शर्मा वर्तमान में आठ कम्पनियों में डायरेक्टर की कुर्सी सम्हाल रहे हैं।
शहर के सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता राकेश कुशवाहा जो सालों से भ्रष्टाचार को लेकर जंग लड़ रहे हैं। वे कहते है कि वी के शर्मा के खिलाफ ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज है इसके अलावा इन्होंने पद पर रहते हुए जो रिश्वत ली उसे अपने रिश्तेदारों के नाम लेकर बाद में उन्हीं रिश्तेदारों से दानपत्र के माध्यम से वापिस ले ली। शहर की अधिकांश बड़ी टाउनशिप और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में वी के शर्मा की साइलेंट पार्टनरशिप है। इनके पुत्र आकाश शर्मा इस समय बहुत सारी कम्पनियों में डायरेक्टर हैं। वहीं दूसरी ओर एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाहा सवाल उठाते हुए कहते हैं कि संयुक्त संचालक के पद पर रहते हुए अकूत संपत्ति अर्जित की है वहीं इनका पुत्र आकाश शर्मा जो कुछ समय पहले एक प्रायवेट बिल्डर के यहाँ ठेकेदारी करता था वो अचानक से आठ कम्पनियों का मालिक कैसे बन गया। ये मध्यप्रदेश के दूसरे सौरभ शर्मा बन गए हैं और जैसे घोटालों के चलते मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के सरकारी धनकुबेर वी के शर्मा के भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया कहते हैं ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार की फाइलों का पुलिंदा पड़ा रहता है वहाँ कार्रवाई नहीं होती हैं वहीं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में किसी भी अनुमति के लिए कम से कम 25 लाख रुपए तक रिश्वत ली जाती है इस मामले में हाईकोर्ट की निगरानी में जाँच होनी चाहिए।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के सरकारी धनकुबेर वी के शर्मा के भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया कहते हैं ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार की फाइलों का पुलिंदा पड़ा रहता है वहाँ कार्रवाई नहीं होती हैं वहीं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में किसी भी अनुमति के लिए कम से कम 25 लाख रुपए तक रिश्वत ली जाती है इस मामले में हाईकोर्ट की निगरानी में जाँच होनी चाहिए।
देखा है कभी ऐसा रिटायर्ड धनकुबेर अफसर.
T and CP के रिटायर्ड संयुक्त संचालक के धनकुबेर बनने की कहानी.
रिश्वत लेने का अनोखा तरीका_रिश्तेदारों का किया इस्तेमाल.
रिटायर्ड अधिकारी ने अपने बेटे को बना दिया 8 कम्पनियों का डायरेक्टर.
रिटायर्ड संयुक्त संचालक का बेटा बना रातों रात अरबपति.
निजी बिल्डर के यहाँ नौकरी करने वाले बेटे ने तोड़े कमाई के सभी कीर्तिमान.
शहर की टाउनशिप की अवैध अनुमति देकर कमाए करोड़ों रुपए.
500 करोड़ के 7 स्टार होटल का निर्माण से हुआ खुलासा.
ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं.
ईओडब्ल्यू के अफसरों ने भी दिया भ्रष्ट संयुक्त संचालक को अभयदान.
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में काली कमाई का सबसे बड़ा खुलासा.
एक परमीशन की 25 लाख रुपए तक रिश्वत ली जाती है यहाँ.
संयुक्त संचालक पद पर रहते हुए अपने ही बेटे को दे दी टाउनशिप बनाने की अनुमति.
कौन है आकाश शर्मा और उनके पिता वीके शर्मा के पीछे.
आखिर कौन है इस गैंग का सरगना…?
वी के शर्मा आकाश शर्मा या फिर कोई सत्ताधारी पार्टी का नेता…?
अगले एपिसोड में होगा खुलासा
देखते रहिए ungali.in
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